शनिवार, 22 नवंबर 2008

चम्‍बल में निष्‍पक्ष चुनाव पर प्रश्‍न चिह्न, खुलेआम आचार संहिता की धज्जियां, मतदाताओं को लुभाने धमकाने से लेकर तंग परेशान करने का सिलसिला जारी

चम्‍बल में निष्‍पक्ष चुनाव पर प्रश्‍न चिह्न, खुलेआम आचार संहिता की धज्जियां, मतदाताओं को लुभाने धमकाने से लेकर तंग परेशान करने का सिलसिला जारी

नरेन्‍द्र सिंह तोमर 'आनन्‍द'

मुरैना 22 नवम्‍बर 08, म.प्र. में वर्तमान में हो रहे विधानसभा चुनावों की निष्‍पक्षिता पारदर्शिता और स्‍वतंत्रता को लेकर कई सवाल खड़े हो गये हैं ।

प्रत्‍याशी भले ही आपस में कुछ भी आरोप प्रत्‍यारोप कर रहे हों लेकिन जनता की नजर से समूची जनता इस यकीन और निश्चिन्‍तता से परे है, कि चम्‍बल घाटी में चुनाव निष्‍पक्ष, स्‍वतंत्र एवं पारदर्शी होंगें ।

सख्‍त आचरण संहिता के चलते और सख्‍त प्रशासनिक रवैये के कारण भले ही चम्‍बल के बाहुबली प्रत्‍याशी अपने शक्ति प्रदर्शन को अधिक खुलेआम नहीं कर पा रहे हों लेकिन चुनाव प्रचार के इस दूसरे चरण के आते आते चुनाव प्रचार की जगह प्रत्‍याशीयों की खुली गुण्‍डागर्दी, अराजकता और साम, दाम, दण्‍ड भेद की नीति ने ले ली है ।

बाहुबली व धनबली प्रत्‍याशी जहॉं खुलेआम गुण्‍डागर्दी पर उतर आये हैं, वहीं आचरण संहिता का तो चूरमा बना कर अपने जूतों तले न जाने कब का रौंद चुके हैं । हम कुछ चित्र आज ही प्रकाशित कर रहे हैं, और कुछ अन्‍य चित्रों को आज ही फिल्‍म के रूप में अपने वीडियो व इण्‍टरनेट टी.वी. सेक्‍शन में प्रसारित कर रहे हैं, इनमें आचरण संहिता की धज्जियां उड़ाते और मतदाताओं को लुभाते और डराते घमकाने परेशान करने तथा प्रत्‍याशीयों की गुण्‍डागर्दी के चित्र ताजे यानि आज के ही खींचे हुये हैं और बकाया फाइल चित्र हैं ।

क्‍या हो रहा है, चम्‍बल में असल में

मैं आपकों शहर मुरैना का जिक्र सुना रहा हूं , मैं आपको यहॉं हो रही या घट रही सारी तत्‍य बयानी प्रत्‍यक्षदर्शी मैं स्‍वयं और कुछ मामलों में स्‍वयं भुक्‍त भोगी के रूप में बयान कर रहा हूं ।

इसके बाद निर्वाचन आयोग या जिला प्रशासन मुरैना कैसे मतदाताओं को आश्‍वस्‍त करेगा यह उनकी जिम्‍मेवारी है, मैं जो लिख रहा हूँ वह सब मय साक्ष्‍य है ।

प्रश्‍नात्‍मक घटनायें व वृतान्‍त (उत्‍तर दीजिये)

1.           पूरे दिन और पूरी रात की बिजली कटौती संदिग्‍ध रहस्‍यमय और कुछ विशिष्‍ट क्षेत्रों तक सीमित क्‍यों, किसके इशारे पर, और किस उद्देश्‍य के लिये

2.           केवल कुछ प्रत्‍याशीयों या केवल कुछ स्‍थान मात्र पर ही आचरण संहिता उल्‍लंघन के मामले क्‍यों, बीच शहर में खुलेआम आचार संहिता की धज्जियां उड़ रही हैं, इसे कौन रोकेगा ।

3.           मतदाताओं को खुलेआम सौ का नोट और एक नारियल कुछ प्रत्‍याशीयों द्वारा कुछ क्षेत्रों में बांटे जाने की खबरें लगातार मुझे मिलीं और ऐसा हुआ भी इस सम्‍बन्‍ध में एक प्रत्‍याशी ने आरोपित किया है और समाचार पत्रों में बयान दिया है कि वोट खरीदे जा रहे हैं, आप इस मामले में अब तक क्‍या कर रहे हैं, इस तथ्‍य को साबित करने या निष्क्रिय व असत्‍य साबित करने हेतु क्‍या कार्यवाही किये हैं, या क्‍या कदम आपने उठाया है । मैं आपकों याद दिला दूं म.प्र. शासन के अस्तित्‍वाधीन एक आदेश के तहत चौबीस घण्‍टे के भीतर सम्‍बन्धित प्रशासनिक अधिकारी को असत्‍य खबर या तथ्‍य का खण्‍डन करना अनिवार्य है या फिर उसे साबित करने हेतु कदम उठा कर कार्यवाही करना अनिवार्य है, इस आदेश की प्रति आपके पास न हो तो मेरे पास उपलब्‍ध है, मुझसे ले लीजिये या फिर म.प्र. शासन की वेबसाइट से ले लीजिये या म.प्र. के असाधारण राजपत्रों के अंक टटोल लीजिये यह आदेश गजटेड है ।

4.           चम्‍बल के कई गांवों की कई समस्‍याओं पर कई गांवों, ग्राम पंचायतों और शहर मुरैना और तहसील कस्‍बों के कई मोहल्‍लों के वाशिन्‍दों मतदाताओं द्वारा बाकायदा बयान जारी कर अखबारों में खबर छपवाकर मतदान के बहिष्‍कार किये जाने का ऐलान किया गया है, यदि यह खबरें या अखबार आपके पास न हों तो मेरे पास सुरक्षित रखें हैं, क्‍या मतदान का बहिष्‍कार स्‍वस्‍थ लोकतंत्र के लिये आवश्‍यक है या फिर मतदान बहिष्‍कार, निष्‍पक्ष, स्‍वतंत्र व पारदर्शी मतदान का एक अंग है आप ऐसा मानते हैं । यदि ऐसा बहिष्‍कार घोषित हुआ है तो उसे करवाने के लिये या उन्‍हें मतदान हेतु प्रेरित किये जाने हेतु आपने क्‍या कदम उठाये हैं, इन मतदाताओं से मतदान कराने का दायित्‍व किसका है, आपका या मेरा, या सम्‍बन्धित अखबारों का या फिर सम्‍बन्धित प्रत्‍याशीयों का । इन रूठे मतदाताओं द्वारा मतदान बहिष्‍कार कैसे आखिर स्‍वतंत्र, निष्‍पक्ष या पारदर्शी चुनाव करायेगा मेरी समझ से परे हैं । ये मतदान नहीं करेंगें तो क्‍या आप एक अच्‍छा, उत्‍कृष्‍ट सर्वमान्‍य जनप्रतिनिधि इस देश के लोकतंत्र को देंगें यह मुझे समझाईये । जब कोई मतदान नहीं करेगा या कोई बूथ पर निरंक वोटिंग होगी तो क्‍या आप चुनाव परिणाम रोक देंगें या फिर उस विधानसभा का या उस बूथ का पुन: पोलिंग करायेंगे, इस सम्‍बन्‍ध में आपकी नीति क्‍या है, मुझे बताईये ।

5.           सारे शहर में धुंआधार गुण्‍डागर्दी और अराजकता फैली हुयी है, यहॉं तक कि अखबारों को खुलेआम लुभाने व धमकाने का माध्‍यम प्रत्‍याशीयों द्वारा बनाया गया है और सब कुछ साफ साफ अखबारों में छपा हुआ है और लगभग रोज ही छप रहा है, इन अखबारों या खबरों या लुभावने विज्ञापनों की प्रति यदि आपके पास नहीं हैं तो मेरे पास सुरक्षित हैं, आपने अब तक इस सम्‍बन्‍ध में क्‍या कदम उठाये हैं, महाराज कृपया अवगत करायें ।

6.           कुछ प्रत्‍याशीयों का दावा है कि मुरैना महादेव नाका पर अण्‍डरब्रिज वे बनवा देंगे और बाकायदा उन्‍होंने टाइम लिमिट भी घोषित की है, यह तथ्‍य कितना सही है, क्‍या इसे लुभावना लालच की संज्ञा या तथ्‍यात्‍मक भ्रम या भ्रमात्‍मक तथ्‍य माना जा सकता है, क्‍या यह प्रत्‍याशी भारत सरकार का रेलमंत्री है, या रेलमंत्री इसका जरखरीद गुलाम है या इसकी जेब में रहता है, इस प्रत्‍याशी द्वारा ऐसी गारण्‍टी किस गारण्‍टी के तहत दी गयी है , कृपया तथ्‍य को सत्‍यरूप से अवगत करा कर मुझ लाचार, नासमझ, कम अकल और अनपढ़ अज्ञानी मतदाता को बताने की कृपा करें मैं भ्रमित हो गया हूं, और लालच में भी आ गया हूं, इसी बिन्‍दु पर एक अन्‍य प्रत्‍याशी द्वारा पिछले कई दिनों कई महीनों से अखबार में छपवा छपवा कर दावा किया गया है कि वह भी इस अण्‍डर ब्रिज को बनवा देगा, उसका कहना है कि वह बनवा भी देता काश कि वह रेलमंत्री होता, उसका कहना है कि वह अण्‍डर ब्रिज बनवाने के लिये अपनी जेब से या अपनी सरकार की जेब से पैसा एक साल पहले रेल मंत्रालय में जमा करवा चुका था, लेकिन रेल मंत्रालय ने छल, धोखाधड़ी और कपटपूर्वक, आपराधिक षडयंत्र रचकर उसके पैसे पचा लिये और लम्‍बे समय तक अपनी जेब में डाल कर रेल्‍वे उसे टहलाती रही, बाद में आज कल आज कल करते अभी तक उसने अण्‍डरबिज नहीं बनवाया और मूर्ख बना दिया तथा उसके साथ , उसकी सरकार के साथ और मुरैना की जनता के साथ धोखाधड़ी कर दी, अब वह भी कह रहा है कि वह जीता तो बनवा देगा अण्‍डरब्रिज ।  आदरणीय श्रीमान मुझे भ्रम हो गया है और यह लालच भी आ गया है कि मैं इन दोनों में से ही किसी को वोट करूं लेकिन भ्रम हो गया है, भ्रमात्‍मक तथ्‍यों के कारण तथ्‍यात्‍मक भ्रम । मैं उलझन में हूं, श्रीमान मैं एक मूर्ख, कमसमझ कम पढ़ा लिखा अज्ञानी मतदाता हूं, श्रीमान निष्‍पक्ष चुनाव के रिंग मास्‍टरगण मेरा भ्रम दूर करें, मेरा मार्गदर्शन करें, जिससे मैं सही आदमी को वोट दे सकूं । अगर आप वोटिंग से पहले सही तथ्‍य या सही प्रत्‍याशी का नाम बता देंगें कि इनमें से कौन रेलमंत्री बनेगा या रेलमंत्री भारत सरकार किसका जरखरीद गुलाम होगा या कौन रेलमंत्री को दारू पिला कर महादेव नाके पर ठुमके लगवायेगा , उस सही आदमी के नाम से मुझ गरीब अज्ञानी अल्‍पबुद्धि को अवगत करा दें जिससे मैं सही आदमी को वोट देकर अपना अण्‍डरब्रिज बनवा लूं ।

7.           हमारे भावी जन प्रतिनिधिगण द्वारा प्रस्‍तुत अपने आय व्‍यय लेखे में आप केवल जे पूछ रहे हैं कि रकम गयी कहॉं यानि खर्च कहॉं हुयी कै फिर जेऊ पूछ रहे हैं कि जे आयी कहॉं से, मतलब जो रकम खरच भई वो आय कहॉं से रही है और आवक स्‍त्रोत की विश्‍वसनीयता और प्रमाणिकता क्‍या है, और जा आवक जावक में यानि आय व्‍यय में प्रत्‍याशीयन के विज्ञापनन के खच्‍च और रसीद आय गयीं के नानें, जो लंगर चलाय कें भण्‍डारे कर रहे हैं वाउको खच्‍च दिखाओ है के नानें । कितेक गैस सिलेण्‍डर खाय गये नेता लंगरन्‍न में, जे सिलेण्‍डरों की खरद की रसीद खच्‍च के हिसाब के संग पेस भई है के नानें । महाराज शहर से सिलेण्‍डर गायब है गये हैं, जनता से पंगा कर्रो है रहो हैं , हमऊं से भिड़न्‍त है गयी है , हम तो खैर निबट लेंगें पर महाराज निष्‍पक्ष चुनाव गारण्‍टी अधिकारी महोदय वा जनता को का होगो जो हजारों नम्‍बर आज की तारीख में आडवाणी जी की तरह वेटिंग इन में डरे हैं , वे भभ्‍भर मचाय रहे हैं । बिनकी कोऊ सुन नाने रहों जा बखत । हमने सुनी है कि नेतन लोगन ने ट्रक के ट्रक सिलेण्‍डर उतारवाय लये हैं, और सिग लंगरन में हवन है गये हैं । सुनो है के नेतन ने भारी गुण्‍डागिरी मचाय रखी है । बड़ी जबरदस्‍त ब्‍लैकमेलिंग चल रही और सिलेण्‍डर आठसौ और पन्‍द्रह सौ रूपये में मिल रहे हैं नहीं तो तीन महीना बाद, वाह प्रभु जय सियाराम, वैसे तो हम कम्‍पलेण्‍ट हाई लेवल करई रहे हैं और कै तो जा व्‍यवस्‍था कों अब ठीक ही करवाय देंगें और एजेन्‍सी टर्मिनेशन के लेउँ लिखेंगे हकीकत तो खैर भारत सरकार के सही डिपार्टमेण्‍टों तक सही माध्‍यम से पहुचाय देंगें ही, लेकिन महाराज चुनाव बाद हम सूचना का अधिकार में जे सब ब्‍यौरा महाराज आपसे मांगेंगे, सो दे जरूर दीयो नहीं तो एक लड़ाई और लड़नी पड़ेगी ।

8.           वैसे तो ऊपर लिखीं बातें बहुत हैं समझदार के लाने पर जे है कि चलत चलत एक औरऊ बात कह दें कि बा गरीब हरिजन निर्दलीय प्रत्‍याशी की प्रचार गाड़ी यानि रिक्‍शा जे दूसरा गुण्‍डा बाहुबली प्रत्‍याशीयन ने टोर फोर डारी हती, हमने अखबार में पढ़ी हती वा को का भओं, जे निर्दलीय प्रचार काय नही कर पाय रहे, जिनकी धड़ाधड़ पिटाई मराई लगाय कें जे गुण्‍डा लोग बाहुबली प्रत्‍याशी प्रचार नहीं करन दे रहे वामें आप का कर रहे हैं महाराज । खैर थोड़ी लिखी बहुत समझना ।

अंतत: आप समझ सकते हैं कि चम्‍बल में चुनाव कैसा चल रहा है और कैसा निष्‍पक्ष, स्‍वतंत्र व पारदर्शी हो रहा है । और उधर डकैत बदमाश गांवों में धमकी दे गये हैं कि अलां फलां को वोट देना वरना चुनाव बाद पकड़ कर ली जायेगी, शहरों में चोरी भडि़याई करवाने की धमकी और ऐलान जारी किये है, कुछ मतदाताओं को लूट पाट और मारने पीटने के फरमान जारी हो गये हैं वहीं कुछ मतदाताओं को परिवार सहित जान से मारने की धमकी, अपहरण करने और बेइज्‍जत करने के फरमान भी बाहुबली गुण्‍डा प्रत्‍याशीयों द्वारा जारी किये गये हैं, कुछ की बिजली पानी काटने, कुछ को अन्‍यान्‍य भांति तंग व त्रस्‍त करने जैसी धमकियां जारीं हैं, शहर और गांव दहशत में हैं, मतदान आ रहा है, अगर वोटिंग ऐसे ही होनी है तो वोटिंग की जरूरत क्‍या है, इलेक्‍शन की जगह नोमिनेशन कर लेना चाहिये ।  

बुधवार, 19 नवंबर 2008

चम्‍बल में विदेशी पंछी मेहमान बन कर आये, लंगरों में दावत भण्‍डारे और दारू के भोज, ससुरे वोट डालेंगें कि चुनाव करायेंगें

चम्‍बल में विदेशी पंछी मेहमान बन कर आये, लंगरों में दावत भण्‍डारे और दारू के भोज, ससुरे वोट डालेंगें कि चुनाव करायेंगें   

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

मुरैना विधानसभा पर इस बार प्रमुख दलों कांग्रेस, भाजपा और बसपा का गला काट संघर्ष होगा । लेकिन प्रभावित करने वाले यानि वोट काटने वाले इनकी नाक में खासा दम कर देंगें । कल एक निर्दलीय प्रत्‍याशी को छ गाड़ीयों के साथ इन तीन प्रमुख प्रत्‍याशीयों में से एक का चुनाव प्रचार करते और चुनाव सामग्री भरी गाड़ी के साथ जिला प्रशासन मुरैना ने पकड़ा है । हालांकि जिला प्रशासन और निर्वाचन आयोग निष्‍पक्ष चुनाव कराने की कसम खा कर बैठा है लेकिन राजनैतिक दलों के प्रत्‍याशी भी अपने जौहर दिखाने से नहीं चूक रहे । निर्दलीय प्रत्‍याशीयों की गाड़ीयों का उपयोग करना, निर्दलीयों को खरीद कर जर खरीद गुलाम की तरह प्रचार में उनका इस्‍तेमाल करना, शराब, शबाव और कबाव, यानि एग, लैग और पैग के साथ औरतों और बच्‍चों को उठवा कर अपनी छवि बनाना दूसरों की बिगाड़ना, गुण्‍डे, चोर मवालीयों और बाहरी बदमाशों तथा डकैतों की पूरी फौज की फौज इन दिनों चम्‍बल में एक माह पहले से ही बारातों की भांति फोकट के लंगरों में भोज पंगत और जाम के आनन्‍द उठाने में लगी है, सीमायें सील होने से पहले ही विशाल तादाद में अपराधी पहले ही अपना डेरा चुके थे । इन दिनों चम्‍बल में बाहर के विदेशी प्रवासी पक्षी मेहमान बन कर डेरा जमाये हैं । ज्ञातव्‍य है कि इन दिनों प्रत्‍याशीयों के समूची चम्‍बल में यत्र तत्र सर्वत्र लगभग 7 हजार लंगर चल रहे हैं और राजस्‍थान से नकली व सस्‍ती मंहगे ब्राण्‍ड के लेबल लगी दर्जनों ट्रक शराब भरकर चम्‍बल पहुँच कर बदमाशों के टेटुओं में उड़ेली जा रही है । एक लंगर में अमूमन 6-7 हजार लोग रोजाना पेट भरने और गला तर करने का काम कर रहे हैं । अब भई ये विदेशी प्रवासी पंछी मेहमान बन कर जो डेरा डाले हैं और हराम की कमाई, हराम की लुगाई और हराम की खिलाई पिलाई का आनन्‍द ले रहे हैं जे पता तो तुमई लगाओ कि जे निर्वाचन आयोग के आदमी हैं का, या फिर निर्वाचक हैं या फिर ससुरे निर्वाचन के एजेण्‍ट हैं आखिर जे हैं का ।

हम तो प्‍यारे यही कहेंगें कि कोऊ नृप होय हमें का हानी, जादा चेंटें तो पिला देंगें पानी ।   

शनिवार, 8 नवंबर 2008

हास्‍य / व्‍यंग्‍य - हुम्‍फ ससुरे दागी लड़ें और बागी मन मसोसें...बहुत नाइन्‍साफी है गब्‍बर भाई

हास्‍य / व्‍यंग्‍य

हुम्‍फ ससुरे दागी लड़ें और बागी मन मसोसें...बहुत नाइन्‍साफी है गब्‍बर भाई

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

अभी फार्म भरने का मौसम निकल गया, कल ही लास्‍ट डेट गुजर गयी, पॉच साल बाद आने वाली तारीख गुजर गयी । जो लपक झपक के पर्चा डाल आये वे सवारी में शामिल हो गये बकाया पॉच साल के लिये गये पानी में ।

नेता पॉंच साल ड्रीम्‍स देख कर स्‍वप्‍नदोष के शिकार होते हैं, हर ड्रीम में यही तारीख नजर आती है मगर पॉंच साल के लम्‍बे इंतजार के बाद महज सात दिन में चली भी जाती है । बहुत नाइन्‍साफी है ये । ये तो सरासर निर्वाचन आयोग की दादा है भइये । पॉंच साल की तारीख कम से कम 45 दिन तो चलवा दिया करो । क्‍या फ्लाप फिल्‍म की तरह हफते भर में सेल्‍यूलायड स्‍क्रीन से उतार देते है ।

मजा आना शुरू भी नहीं हो पाया था कि तारीख खल्‍लास हो गयी । अरे भईया हम हिन्‍दुस्‍तानी इत्‍ता लम्‍बा इंतजार खींचने के बाद इत्‍ती जल्‍दी फुरसत में नहीं आना पसन्‍द करते । अरे भईया नौदुर्गा भी हर छ: महीने बाद आ जातीं हैं और पूरे दस दिन बेतकल्‍लुफी से त्‍यौहार और उत्‍सव मनवा कर रौंग चोंग कर जातीं हैं ।

और गोया पर्चा भरने का मौसम जैसे स्‍वर्गीय मोरारजी जी भाई का जन्‍म दिन हो गया जो चार साल बाद पड़ेगा 29 फरवरी को और सुबह आकर शाम को खिसक लेगा । क्‍या ससुरी मध्‍यप्रदेश की बिजली के मानिन्‍द हो गया थोड़ी देर को आते हो और चले जाते हो ।

नेता पॉंच साल तड़पते हैं, फड़फड़ाते हैं, बीच में चुनाव कराने को सड़कों पर नर्राते हैं, बॉंहें, आस्‍तीन ऊपर सरका सरका कर जंग करते हैं, हर लोकल समस्‍या को नेशनल क्राइसिस कहते हैं, हर बात पर बाजार बन्‍द कराते हैं, हर बन्‍द पर चुनाव मांगते हैं, नयी सरकार के ख्‍वाबिया चादर तानते हैं, जनता को पॉंच साल तक बीच में चुनाव का आसरा दिलाते हैं ।

और ख्‍वाबों की ताबीर का बखत आता है, तो साली डेट आती है औ चली जाती है, केवल हफ्ते भर में एक्‍सपायर हो जाती है । नेता ढंग से लोक सेवकों की सेवा और चुनावी रंगत के पहले सिरे का आनन्‍द भी नहीं ले पाते , ढंग से निर्वाचन के रिंग मास्‍टरों को देख भी नहीं पाते कि आफिस खिड़की टेबल सब पर ताला ठुक जाता है । बहुत गलत बात है, गलत बात है ये ।

पहले दिन से चार गुने दूसरे दिन, दूसरे दिन के चार गुने तीसरे दिन इस तरह सात दिन तक पिछले दिन के चार गुने पर्चे बढ़ रहे थे, सरकार की इनकम भी बढ़ रही थी, और जब बुक्रिग की असल लाइन आना शुरू हुयी तो हाउसफुल का बोर्ड लटका कर खिड़की बन्‍द कर दी । गलत बात है, नाइन्‍साफी है ये । सोई तो मैं कहूं कि लोकतंत्र इस देश में फल फूल क्‍यों नहीं रिया । अब समझ में आया कि जब तक दागी आते हैं, हम पर्चे भरवाते रहते हैं और जब बागीयों का नंबर आता है तो खिड़की बन्‍द कर देते हैं, समानता का अधिकार नहीं है ये । अरे दागीयों की कुश्‍ती के बाद पराजित पहलवान बागी कहलाते हैं और बागीयों को भी चान्‍स बराबर मिलना चाहिये कि नहीं । हम नहीं देते, यानि समानता का अधिकार नहीं है ।

अब का होगा दागी मूंछ ऐंठकर छाती तान कर लड़ेंगे, बागी मन मसोसेंगे । एक तरफ तो सरकार कहती है कि बागी समस्‍या देश के माथे का कलंक है, खत्‍म होनी चाहिये, दूसरी तरफ खुद ऐसे करम कर कर के बागी खुद पैदा करती है, और जब दागी सरकार बना लेंगे, सरकार में बैठ जायेगें तो बागी समस्‍या को दस्‍यु समस्‍या या डकैत समस्‍या बता कर एनकाउण्‍टर में बेचारे बागी ठोक दिये जायेगे । गलत बात है, बहुत नाइन्‍साफी है ।

कुछ नेता जी मेरे पास आये तो कईयों के ई मेल मिले सब लगभग एक ही वाणी बोले दादा खबर चला दो, इण्‍टरनेशनल लेवल पर इण्‍टरनेट पर छाप दो कि अमुक नेता जी अब बागी हो गये हैं और अलां सवारी छोड़ फलां सवारी पे चढ़ बैठे हैं ।

मैंने नेता लोगों से पूछा कि इसमें खबर की क्‍या बात है, जाकर बगावती पर्चा डाल आओ, कल की हेडलाइन बन कर अपने आप छप जाओगे । नेता जी लोग बोले कि नहीं अब पर्चा नहीं डालना है केवल हाईकमान को ठांसना है । मैं बोला इससे का फायदा होगा । वे बोले कि कुछ नहीं हाईकमान की खोपड़ी में भी दर्द डालना है, उसने हमारी पॉंच साल की कमाई पे पानी फेरा है, नींद उड़ाई है, उसे भी नहीं सोने देना है ।

अभी एक दिन, मेरे गांव से एक बाबा और नाती साथ साथ आये, कलेक्‍ट्रेट के सामने से गुजरे तो कलेक्‍ट्रेट का बदला हुआ रंग औ रूतबा देख कर उनकी ऑंखें फटी रह गयीं । गेट पे मशीन, हाथ में मशीन, पुलिस ही पुलिस, दरवाजे की भी सील बन्‍द । मुरैना वालों की एक खासियत है कि सील टूटी हो दरवज्‍जा खुल्‍ला पड़ा हो तो टूट बैठते हैं, लेकिन अगर सील बन्‍द हो तो सील तोड़ने के लिये पड़ौसी की ओर निहारते हैं ।

कलेक्‍ट्रेट क्‍या पुलिस छावनी कहिये, या फिर आर्मी का हेड क्‍वार्टर कहिये । घुसो मशीन से निकलो मशीन से और संग संग मालिश करवाओ मशीन से । भईया क्‍या लुत्‍फ है । मौका है सेवा करवा लो लोकसेवकों से ।

हॉं तो बाबा और नाती वहॉं से गुजर रहे थे, नाती बोला कि बाबा जे का है रहो है, झां इतेक पुलिस कायकूं लगी है, का कोऊ काण्‍ड है गओ ए का ।

बाबा ने अपनी सुलभ सहज बुद्धि से अनुमान लगाते उत्‍तर दिया, मोय तो जे लगि रई है के केतो कोऊ अफसर काऊ डकैत ने ठोक दओ औ के फिर चुनाव आय गये होंगें, इतेक पुलिस तो तबई लगेगी ।

नाती फिर बोला काये बाबा जे पुलिस वाये करि का रहे हैं, बा दरवाजे में ते कोऊ कढ़तु है तई की जेब तलासी और जेब कटी सी कायकों कर रहे हैं ।

बाबा फिर बोले, नानें रे जे तो मसीन है, वो दरवज्‍जो ऐ बउमें मसीन फिट है, ऐसी हम भोपाल में देखि आय हते, भां विधानसभा में गये दंगल देखिबे सो भऊं ऐसेई कुतका से तने हते । कोई बां में ते कढ़तो सोई मसीन करती भें भें ...। और जे कुतका से हाथ में लेहें फिर रहे हैं जऊं सो ऐसेईं भें भें होति है ।

नाती बोला कि चलि बाबा अपुनुऊं जा कुतका से में ते कढ़ेंगे देखें कैंसें भें होगीं । फिर गाम में जायकें सिगन बतावेंगे , जा कुतका को किस्‍सा चार छ साल सुनावेंगे ।

इसके बाद बाबा और नाती दोनों ही भें दरवाजे यानि मेटल डिटेक्‍टर गेट से निकलने के लिये कलेक्‍ट्रेट का रूख करते हैं तभी लपक कर दो पुलिस वाले आते हैं, तब तक बाबा नाती दरवाजा पार कर लेते हैं ओर दरवाजे से निकली सीटी की आवाज सुन कर फूले नहीं समाते । अब पुलिस वाले उन दोनों को ऊपर से नीचे तक मेटल डिटेक्‍टर लगा कर चेक करते हैं, दोनों जने भारी ग्‍लेड यानि खुश हो जाते हैं । मगर पुलिस वाले कहते हैं कि ये साथ की थैली और पॉलीथिन झईं धर देओ । फिर भीतर जईयो । तो बाबा लड़ पड़ता है कहता है कि वह नहीं छोड़ेगा सामान । तब पुलिस वाला कहता है कि तो वह भी नहीं जाने देगा भीतर ।

अभी पुलिस वालों से दोनों की जद्दोजहद चल ही रही थी कि तब तक नेताओं के हुजूम आ उमड़ते हैं, और जिन्‍दाबाद जिन्‍दाबाद, जीतेगा भई जीतेगा, के नारे लगने लगते हैं, बाबा अपने नाती से कहता है कि चल रे जा नेता के संग चलेंगें । देंखें अब जे पुलिस वाले कैसे रोकेंगे । और बाबा नाती दोनो लोग नेताओं के साथ भीतर कलेक्‍ट्रेट में घुस जाते हैं और भीड़ के संग जिन्‍दाबाद और जीतेगा के नारे लगाने लगते हैं ।

कचहरी के भीतर का सारा नजारा देख कर नाती के मन में भी अंगड़ाईयां आने लगतीं हैं, वह बाबा से बोला बाबा नेतान के तो बड़े भारी जलजले हैं, बाबा हौंऊं (मैं भी) नेता बनेगों । होऊं पर्चा भरेंगों ।

बाबा कहता है, बात तो सही है, कम ते कम एक नेता तो घर में होनोई चहियें, नहीं तो आज के जमाने में कोऊ ना पूछत । चलि तूई बनजा नेता, चलि भरदे पर्च्‍चा । चलि भीतर दूकान पे पूछि लेऊ पर्च्‍चा का मोल भरो जागो ।

बाबा नाती भीतर पहुंचे, रिटर्निंग आफिसर से मिले और बोले काय सेठ जी झां पर्च्‍चा भरे जांगे का । रिटर्निंग आफिसर बोला किस विधानसभा का पर्चा भरना है । बाबा अपनी चतुराई दिखाते बोला कि सिगते सस्‍ती कौनसी है तई में भरेंगे ।

रिटर्निंग आफिसर जैसे कुछ कुछ समझ गया बोला बाबा झां तो सिग एकई भाव हैं चाहें तौनसी में भर देओ । हॉं हरिजन होओ तो आधे पैसा लगेंगें नईं तो पॉंच हजार लगेंगे ।

बाबा बोला कि हरिजन तो हम ना हतई पर कछू कम कर ले । पैसा तो तू जादा बताय रहो है ।

रिटर्निंग आफिसर भी दो दिन से मक्‍खी मार रहा था, उसकी विधानसभा से दो दिन बीतने के बाद भी कोई फार्म दाखिल नहीं हुआ था सो पका बैठा था । बोला बाबा ये सरकारी दूकान है, एक बोलिया वाली, यहॉं मोलभाव नहीं चलता । बाबा से जादा चतुर नाती था वह बोला अये सेठ हमनि का ऐंनई उल्‍लू समझ रहो हैं, हम टी.वी. पे देखकें आयें हैं, जागो ग्राहक जागो में हमें बताया दई है कि मोलभाव करो और दाम घटवाओ । सो सही सही बताय दे कितेक पैसा लेगो, फायनल रेट बोल दे ताते हमऊं फारम भर दें । हमनि वैसे कोऊ जरूरत नानें परि हमाय झां कोऊ नेता नानें सो नेता बनिवे आये हैं । सस्‍ते में बनाया रहो होय तो बता, नहीं तो कोऊ और दूकान तलाशेंगें ।

रिटर्निंग आफिसर का आफिसरी खून उबाल लेने लगा और बोला बाबा रसीत कटाओगे तो टैक्‍स लगेंगे सो पैसा जादा ही लगेंगे पर रसीत नहीं कटाऊ तो काम सस्‍ते में यानि चार हजार में हो सकता है । पर अखबार में नाम नहीं छपेगो ।

नाती इस पर उखड़ गया और बोला रसीत नहीं कटे तो कोऊ बात नानें पर अखबार में नाम नहीं कढ़ेगो तो हम नानें राजी । अखबार में तो नाम जरूरी है, हम सिग गाम में पढ़वावेंगें । नारे लगवावेंगें जिन्‍दाबाद और जीतेगा करवावेंगे । अखबार वाई रेट बता ।

हुआ चेंट चपाट के बाद ये कि, पूरे पॉंच हजार की रसीद कट गयी और नाती को फार्म मिल गया । फार्म मिलने के बाद नाती बाहर आकर वकीलों से मिला और एक वकील से बोला, काय वकीन साब जे फार्म भरनो है नेतागिरी को, जाय भरवायदेओगे का । वकील साहब ने कहा भर जायेगा पॉंच सौ लगेंगें । बाबा बोला ऐरेओ जे बताऊ का झां सिग के सिग काटिबे ही बैठे हो, ऐंसे नेता बने तो है गई सियाराम । हमनि तो सुनी कि नेता कभऊं अपनो पैसा खच्‍च करके कोऊं काम ना करतुई और झां खुदईखुद डड़बे चिपटे हैं ।

वकील समझ गया के अनाड़ी पंछी हाथ लगा है, उसने अपनी मार्केटिंग जमाते हुये कहा कि का नये नये आये हो का । तबई ऐसी बातें कर रहे हो, जाओ दिल्‍ली, भोपाल चले जाओ और जायके देखो कि वकीलों के रेट क्‍या चल रहे हैं पॉंच दस हजार से नीचे तो कोई वकील अपनी कुर्सी पे बैठने भी नहीं देता, हम तो मुरैने में बरबाद हे रहे हैं । नहीं तो हमऊं आज कछू होते । नेता बनि जाओगे तो जो कमाई करोगे वाय का हमें दे देओगे का । बाबा ने इतना सुन के मूंछ पर ताव जमाया और बोला ठीक है वकील साब दये पूरे तीन सौ दये, अब जादा रेट फेट मत करो, मोड़ा नेता बनें चाहिये रहो हैं, जाय नेता बन जावन देओ ।

वकील ने सटासट फटाफट फार्म भरवा दिया । दस प्रस्‍तावक भी ला दिये । और शुरू हो गया नाती से नेता बनने का सफर ।

चम्‍बल के बागीयों पर दुनियां तोहमत लादती है, लेकिन अब क्‍या हो जब सारा मध्‍यप्रदेश ही बागी हो उठा है हर पार्टी में बागी नेता सिर उठा रहा है । दागी से बागी बने इन नेताओं का दुख ये है कि पर्चे की लास्‍ट डेट तक इन्‍हें पता ही नहीं लग पाया कि वे उन्‍हें टिकिट नहीं मिल रहा । वरना किसी और पर सवार हो लेते ।

अब डेट निकलने के बाद उन्‍हें उम्‍मीद है कि शायद डेट बढ़ जाये । इस देश में बड़ी बड़ी चीजों की डेट बढ़ जातीं हैं, काश उनके फाम भरने की भी डेट बढ़ जाये ।