मंगलवार, 10 फ़रवरी 2009

सपना 85 का, आस कम्‍प्‍यूटर की, कहर बिजली का, चैलेन्‍ज मामा का

हास्‍य/ व्‍यंग्‍य

सपना 85 का, आस कम्‍प्‍यूटर की, कहर बिजली का, चैलेन्‍ज मामा का

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

जगत मामू यानि जग मामा भनजों से बोले चलो बच्‍चो एक खेल खेलते हैं । जो जीतेगा वो एक क्‍म्‍प्‍यूटर पावेगा 500 रू. वाला इनाम में । हारा तो ठेंगा ।

बच्‍चे बोले वाह मामू क्‍या धांसू आइडिया है, हर्र लगे न फिटकरी रंग चोख आ जायेगा, केन्‍द्र सरकार नये नये आइटम निकाले है, ओर मामू अपनी सील उसी पे ठोक के मेड इन मामूज फैक्‍ट्री ठोक देवे है । खैर अब दान की बछिया के दॉंत तो नहीं देखे जावें हैं । फोकट में मिले तो 500 वाला भी चलेगा । मामू कौन कम उस्‍ताद थे, अपने पावर की मेन चाबी नीचे डाली और उड़ा दी बिजली, ससुरी रात गोल पूरी दिन भर गोल देखें भानजे कैसे अब लाओगे 85 परसेण्‍ट, नहीं लाये तो ठेंगा ।

बच्‍चों को टेंशन, सारी रात टेंशन सारा दिन टेंशन । अब मामू ने इनाम भी रख दी बत्‍ती भी गोल कर दी । अब पचासी तो का पास होइवे के लाले पड़ रहे हैं । आखिर एक भानजा तैश में आ ही गया उसने टी.वी पर एडवर्टाइज देखा, अमिताभ बच्‍चन चाचू बोल कि टेंशन गया पेंशन लेने, भानजा चाचू के डायलॉग पे प्ररित हो गया । और एक अखबार में छपी खबर के मामू को चिठ्ठी लिखो तो मामू बुला लेता है सो लिख डाली फटाफट एक पत्री मामा के नाम । बच्‍चे ने जो लिखा

प्‍यारे मामू जान, तुम पर बिजली कुर्बान ।

बड़े दिनों से कोई नई इनामो इकराम नहीं आ रही थी न कोई पंचायत फंचायत नहीं हो रही थी सो लग ही नहीं रहा था कि मामू की सरकार लौट आयी है । न पत्‍थर गाड़ कर कब्रिस्‍तान बनाये जा रहे थे और न साइकिल से पेट्रोल बचाने मामू दफ्तर जा रहे थे, न कहीं भुक्‍खड़ सम्‍मेलन करा कर अनाज बांटे जा रहे थे, न कोई यात्रा फात्रा का टोटका हो रहा था । हमें लग रहा था मामू गद्दी पे जाके हमें भूल गये, बिसरा गये ।

पर मामू कमाल कर दिया अपने बिजी टैम में से थोड़ा बखत भानजों के लिये निकाल कर उन्‍हें 500 रू वाला ही सही कम्‍प्‍यूटर दे डालने का खेल खेलने का हम भानजों के साथ बढि़या फनी गेम शो चालू कर डाला और ठेले रिक्‍शे वालों को भी सरकारी हलवा का जलवा खिला दिया, हॉं अब कुछ कुछ यकीन हुआ कि मामू जान ही हैं, लौट कर सत्‍ता में आये हैं, जमूड़े बनाने और तमाशा दिखाना चालू कर दिये हैं । थैंक्‍यू मामा जी ।

मामा आपकी शर्त 85 परसेण्‍ट से ऊपर लाने की थी, पर मामू मैं और मेरे सारे दोस्‍त आपकी क्राइटिरिया एल.ओ.सी. से आउट हो गये हैं, अब हम 85 तो क्‍या पास ही हो लें तो आपकी दया से बहुत होगा । हमारे यहॉं सारी रात बिजली नहीं रहवे है, सारे दिन भी अँधेरा छाया है, मोमबत्तियां खरीद खरीद कर पागल हो गये हैं, मम्‍मी पापा की जेब भी जवाब दे गयी है, एक मोमबत्‍ती आधा पौन घण्‍टे संग देती है और बिजली सारी रात गुल रहती है, सारा दिन गुल रहती है, अबकी बार गणित में ऐसे ही सवाल पूछोगे तो शायद हम पास भी हो जायें जैसे एक मोमबत्‍ती 40 मिनिट तक जलती है जिसका दाम 2 रू है और बिजली 23 घण्‍टे गुल रहती है तो बताओ कि एक दिन में कितनी मोमबत्तियां लगेंगीं और एक दिन का खर्च कितना आयेगा । मामू जान ऐसे सवाल हमें अब खूब रट गये हैं, हम फटाक से सवाल का उत्‍तर दे देंगें, कोर्स के सवाल तो मामू अब पढ़ नही पाते सो मामू ऐसे सवाल पूछ कर ही हमारा बेड़ा पार करा देना नहीं तो मामू हम सारे के सारे ही फेल हो जायेंगें ।

मामू अब कम्‍प्‍यूटर तो हमारी पकड़ से निकल गया आपका चैलेन्‍ज कि बेटा बिना बिजली के लाओ 85 परसेण्‍ट और पाओ कम्‍प्‍यूटर, ये हमारे बूते का नहीं है । आपका चैलेन्‍ज हम वापस करते हैं, अब तो पास ही हो लें तो साल बच जायेगा वरना मामू आपका ये गेम शो हम गॉंव शहर के गरीब बच्‍चों की कूबत से बाहर है ।

मामू थोड़ा लिखा, बहुत समझना । आपका प्‍यारा भानजा अपने कई साथियों के साथ ।

मामू को चिठ्ठी मिली तो मामू ने भानजे को बुलवा भेजा और भानजे से कहा कि देखो बेटा, बिजली ने गरीब मोमबत्तियां बनाने वालों की रोजी रोटी छीन ली, हमने उन्‍हें रोजगार मुहैया कराया, गरीब इन्‍वर्टर और बैट्री वालों को धन्‍धा दिलाया । ऊर्जा की खपत और बचत पर अब तुम्‍हें निबन्‍ध नहीं रटने पड़ेंगें । भ्रष्‍टाचार खतम करने आ रहे कम्‍प्‍यूटर और आई.टी. तथा ई गवर्नेन्‍स हमने एक ही वार से बिजली काट कर मामला ही जड़ मेख से मिटा दिया ससुरी न बिजली न आई.टी. न कम्‍प्‍यूटर न पचासी परसेण्‍ट हमने एक झटके में सबके टेंशन दूर कर दिये । भ्रष्‍टाचार खतम हुआ तो देश में ग्‍लोबल मन्‍दी छा जायेगी, सरकार की और सरकारी कारिन्‍दों की कमाई ही ठप्‍प हो जायेगी । सब टेंशनों की जड़ ये बिजली थी । हमने बिजली काट दी सारे टेंशन खतम कर दिये । तुमने कहावत तो सुनी ही होगी कि न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी सो प्रिय भानजे न बिजली होगी न भ्रष्‍टाचार खतम होगा, न आई.टी. आवेगी न कम्‍प्‍यूटर, हमने भयमुक्‍त म.प्र. का वायदा किया था हमारे सरकारी कर्मचारी सबसे ज्‍यादा भयभीत पारदर्शिता लागू होने और भ्रष्‍टाचार के खात्‍में से थे हमने उन्‍हें बिजली काट कर भयमुक्‍त कर दिया । रहा बेटा तुम्‍हारे पास और फेल होने की बात । सो चुनाव परिणामों की तरह हमने परीक्षा परिणाम भी सैटल कर लिये हैं । कहॉं कौन पास होगा और कौन फेल, कौन पच्‍चासी लायेगा कौन ज्‍यादा लायेगा कौन कम्‍प्‍यूटर पावेगा कौन इस गेम शो में हारेगा और किसको ठेंगा मिलेगा सब कुछ सैटल्‍ड है बेटा जा अब घर जा और चद्दर तान कर टॉंग पसार कर सो तेरे 85 से ऊपर आ जायेंगें तू चिन्‍ता मत कर । तुझे कम्‍प्‍यूटर मिल जावेगा । अब ज्‍यादा भभ्‍भर मचा कर हमारी गेम शो की ऐसी तैसी मत कर ।

भनजा बोला कि पर क्‍या मामू ये गलत नहं होगा । मामू बाले कि बेटा देश में ये रोज ही हो रहा है । हर गेम शो में हो रहा था लो जमूड़े बन रहे हैं, मदारी जमूड़े बना रहे हैं, मैं तो केवल उनके चरण चिह्नों की धूलमात्र ही ले रहा हूँ ।

भानजा खुशी खुशी बिना पढ़े लिखे ही कम्‍प्‍यूटर मिलने के सपने लेकर अपने घर लौट आया ।

रविवार, 1 फ़रवरी 2009

हास्‍य / व्‍यंग्‍य// का चचा चुनाव लड़बे को मन है का ....चलो एम.पी. आ जाओ चचा

हास्‍य / व्‍यंग्‍य

का चचा चुनाव लड़बे को मन है का ....चलो एम.पी. आ जाओ चचा

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

अब चुनावी चचा का टैम पूरा होइबे का बखत आ गया । जब बखत आ जाता है तो बड़े बड़े बौरा जाते हैं । अर्गल का टैम पूरा हुआ तो वे भी बौरा गये, करोड़ों की करारे नोटो की गडडी संसद में लहरा आये । सोचा कि मुरैना जनरल हो गयी अम्‍बाह असेम्‍बली या भिण्‍ड लोकसभा लायक तो बौरा ही लें । अम्‍बाह में तो काम नहीं बना अब भिण्‍ड लोकसभा की आस में अबई तक बौराये हैं ।

साला फागुन का महीना बड़ा विकट होता है, अच्‍छे अच्‍छे बौरा जाते हैं आम के पेड़ पर तो बाकायदा बौर आ जाता है वह भी बौरा जाता है । मगर नेता लोग और अफसर तो बसन्‍त ऋतु में बौराते हैं,  बौराना इण्डिया की संस्‍कृति है, हर भारतीय जब तक बौराता नहीं, लगता ही नहीं कि वह भारत का बेटा है ।

शेषन साहब भी बौराये थे उन्‍हें भी राजनीतिज्ञों के चुनाव कराते कराते राजनेता बनने और चुनाव लड़ने का चस्‍का लगा था । जिनके फेवर में सब कुछ किया उन्‍हींने उन्‍हें टिकिट नहीं दिया फिर भी पतली गली से चुनावी चचा शेषन ने अपनी हसरत पूरी करने की कोशिशें कीं । अब ये दीगर बात है कि कामयाबी ने कदम नहीं चूमे । वे भी अपने बखत पूरा होते होते खूब बौराये खूब चिल्‍लाये कि मेरा रंग दे बसन्‍ती चोला । पर बसन्‍ती चोला तो क्‍या किसी मुये राजनेता ने उन्‍हें पीला रूमाल तक नहीं दिया ।

अब ये चुनावी अखाड़ा मण्‍डल की गद्दी में ही खोट है तो क्‍या कहिये, जो भी बैठे है, बौरा जावे है । गलत है, कुछ न कुछ तो गद्दी में गड़बड़ है, हमें तो लगे है कि पाकिस्‍तान का हाथ होवे है, जॉंच करवानी चाहिये । अब सुनी है कि चावला साहब का बखत आ रहा है, भईया चावला साहब आप अभी तक ठीक ठाक हो, जरा संभल कर रहना, गद्दी गड़बड़ है कहीं बौरा मत जाना ।

हमारे मुरैना में एक बड़ी दिलचस्‍प बात है कि  आप पिछले तीस बरस का इतिहास देखेंगें तो पायेंगें कि किसी भी प्रायवेट स्‍कूल में जो भी मास्‍टर नौकरी करने गया, और स्‍कूल मालिक की रंगदारी जो देखी वह प्रभावित हो गया और अगले ही सत्र में उसने खुद का स्‍कूल खोल लिया । गोया सिचुयेशन कुछ ऐसी हो गयी कि एक दिन ऐसा आया कि मुरैना के हर अगल और बगल में स्‍कूल कोचिंग हो गये । हमारे कलेक्‍टर साहब महेश कुमार अग्रवाल साहब अभी एक दिन एक कार्यक्रम में बोल रहे थे कि जबलपुर जैसे महानगर में भी शीर्ष प्रतियोगी परीक्षाओं में कम लोग निकल पाते हैं मगर मुरैना जैसे छोटे शहर से प्रतिभाओं की ऑंधी तूफान सा निकलता है और केवल तूफान नहीं बल्कि टॉपर्स का शहर कहें तो सही होगा ।

अब कलेक्‍टर साहब इत्‍ता तो समझ ही गये कि चम्‍बल टापर्स की जन्‍मदात्री है मगर इन टापर्स के पीछे गरीबी, संघर्ष और बिना सुविधा साधन पढाई लिखाई करने बिना बिजली, दिये (दीपक) और मोमबत्‍ती से किताबों में ऑंखे फोड़ने का भी एक विकट और पवित्र इतिहास है । खैर असल बात ये है कि अगल बगल और सब बगल में खुले एजुकेशन सेल सेण्‍टर्स पर भी तो नजर डालिये, जो भी एक बार मास्‍टरी कर आया वही अगले सत्र में अपनी खुद की दूकान खोल कर प्रिंसिपल बन गया ।

बस बस चुनावी चचा को भी कुछ ऐसा ही बुखार जान पड़े है, अब बखत पूरा हो रहा है तो फुर्सत में का करेंगें । बहुत लड़ा लिया अब खुद ही लड़ लो । अब चचा जब लड़ने की ठान ही लिये हो तो का पता बसन्‍ती, केसरिया या रंग बिरंगा टिकिट दे कै न दे, ऐसा करो कि चम्‍बल में आ जाओ । यहॉं चुनाव जीतना आसान है । बस थोड़ी सी सेटिंग बिठानी पड़ेगी बस समझ लो निकल गयी सीट केवल तीन बार वोट काउण्टिंग में बिजली कटेगी, और हरी हराई सीट निकल जायेगी । और इलेक्‍शन कमीशन के डिस्‍पले बोर्ड पर शाम तक मनवांछित परिणाम नहीं घोषित होने तक रिजल्‍ट पॉज बने रहेंगें । जब आप विजयी घोषित होकर आपत्ति दाखिल करने का वक्‍त निकल जायेगा तब इलेक्‍शन कमीशन के लाइव डिस्‍पले पर रिजल्‍ट शो होंगें । बकाया तो सारे गुण्‍ताड़े जानते ही हो, मतलब ई.वी.एम. में कैसे गड़बड़ करनी है, डाकमत की गिनती कैसे करानी है, कैसे विरोधी पार्टी के प्रभाव क्षेत्र में ई.वी..एम. पर नाम उलट पुलट पर्ची लगानी है । बटन में करण्‍ट की खबर फैलाना वगैरह वगैरह, कैसे वोटर्स की कुल संख्‍या से ज्‍यादा वोट ई.वी.एम. में से निकलने है । अरे चचा उस्‍ताद हो यार तुम्‍हें का बताये । चलो आ जाओ चम्‍बल में सीट निकलवा देंगें । पक्‍का एकदम सौ टके पक्‍का ।