हास्य / व्यंग्य
तानसेन का सितारा और ताजमहल का गुम्बज काहे न भयो आई.एस.आई
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
आजकल टी.वी. पे मियां तानसेन छाये हुये हैं, जागो ग्राहक जागो कम्पनी वाले देश को चेता रहे हैं कि मियां तानसेन का सितारा आई.एस.आई. मार्क वाला न हुआ तो तानसेन घटिया हो गया, उसका संगीत और तान बेसुरी हो गयी वह दो कौड़ी का गवैया तो छोड़ो आदमी भी नहीं रहा ।
लोग कहते हैं तानसेन की तान सुन कर ''धरा मेरू सब डोलते सुन तानसेन की तान'' और दीपक राग जब वे गाते थे तो दीपक अपने आप जल उठते थे ।
जागो ग्राहक जागो ने आज देश की ऑंखे खोल दीं हैं, देश जो युगों से बेवकूफ बनता आ रहा था और तानसेन को महान तीस मारखां गवैया माने बैठा था, जागो ग्राहक जागो वालों ने दूरदर्शन के जरिये देश को सच्चा ज्ञान देकर ''तमसो मा ज्योतिर्गमय'' यानि अंधेरे से प्रकाश की ओर कर दिया है ।
चलो अच्छा हुआ ''जागो ग्राहक जागो'' नामक कम्पनी ने तानसेन के सितारे की ब्राण्डिंग चेक कर ली और देश को बता दिया कि ससुरा तानसेन का सितारा तो आई.एस.आई. था ही नहीं, साथ ही जहॉंपनाह को भी आगाह कर दिया और उन्हें तानसेन के बेआईएसआई सितारे के खतरे से चेता दिया अब जहॉंपनाह तानसेन का सितारा नहीं सुनते । वरना तानसेन के सितारे से या तो उनके कान फट जाते या करण्ट लग जाता या ब्लास्ट ही हो जाता सो सारी सभा ही उड़ जाती ।
उफ कितना उपकार किया है ''जागो ग्राहक जागो'' नामक कम्पनी ने देश के ऊपर ।
अब भईया मैं पी.एम. होता जो गारण्टी से ऐसी अमूल्य व महत्वपूर्ण रिसर्च के लिये कम्पनी को या तो भारत रत्न दे देता या नोबल पुरूस्कार ही रिकमण्ड करवा देता । पर अफसोस मेरा नंबर हर बार काट कर कोई न कोई दूसरा ही कुर्सी पर बैठ जाता है ।
ससुरी बेवकूफ है मध्यप्रदेश सरकार जो हर साल तानसेन समारोह मना मना कर करोड़ों फूंक देती है, इत्ता पैसा अगर तानसेन को दे देती तो बेचारा कम से कम एक अदद आई.एस.आई. मार्के का सितारा तो ले आता ।
ग्वालियर वाले सफां सिरफिरे हैं जो तानसेन की जन्मस्थली बेहट और उनके मकबरे पे शीश नवा नवा के टेढ़े हुये जा रहे हैं । मैं बहुत दिनों से ग्वालियर वासीयों की लगातार झुकती जा रही कमर देखकर बेहद परेशान था और उन्हें सीधा करने का उपाय भी समझ नहीं आ रहा था । उनकी आधी कमर मंहगाई के बोझ से और चौथाई महानुभावों, अफसरों और नेताओं के आगे झुक झुक कर टेढ़ी हो जाती है, बची खुची ऐतिहासिक व धार्मिक हस्तीयों के शीश नमन में टेढ़ी हो लेती है, सो ग्वालियर वाले अक्सर किसी से मिलते वक्त सीधे दण्डवत कर मिलते हैं , यानि हण्ड्रेड परसेण्ट कमर झुकाकर ।
चलो कम्पनी ने बता दिया, आगाह कर दिया । अब ग्वालियर वालों को बेहट में जाकर और तानसेन के मकबरे पर मथ्था टैकी नहीं करनी पड़ेगी, सो कमर का कुछ परसेण्ट तो टेढ़ा होना रूक ही जायेगा
अब ताजमहल और बचा है, उसकी भी ट्रेड मार्किंग और ब्राण्डिंग हो जाये तो चैन आ जाये । ससुरा उस पर भी आई.एस.आई. नहीं है । ऐसे ताजमहल से देश को और पर्यटकों को भारी खतरा है जिस पर आई.एस.आई. का मार्का नहीं है ।
उधर मियां तानसेन ने जब टी.वी. देखा और कॅम्पनी के विज्ञापन में अपने सितारे की कलई खुलती देखी तो बेचारे आजकल वकीलों के चक्कर लगाते फिर रहे हैं कि कोई उनके सितारे का ट्रेडमार्क करवा कर आई.एस.आई. चिहन दिलवा दे । अब वकीलों की फीस ज्यादा है और आई.एस.आई. के बाबू अफसरों की रिश्वत डिमाण्ड हाई है सो बेचारे मियां तानसेन इस दर से उस दर ठुकियाते फिर रहे हैं ।
मियां मुझसे मिले और बोले ठाकुर साहब हमारी दरखास (एप्लीकेशन) इण्टरनेट से ऑनलाइन ऊपर पहुँचा दो कि हमें बड़ी दिक्कत आ रही है, हम लेना चाहते हैं मगर, आई.एस.आई. नहीं मिल पा रिया है, साले ऊपर बैठे लोग फन्देबाजी कर रिये हैं । पैसा पैसा चिल्ला रिये हैं, फत्तरों (पत्थरों) के सैर (शहर) में आ गिया हूं , कोई सुनई नहीं रिया है ।
हम बोले मियां तानसेन जि आनलाइन फोन लाइन का कोई मतलब नहीं है । कोई नहीं सुनता है । कोई कार्रवाई फार्रवाई नहीं होती, सब हाथी के दिखाऊ दांत हैं, हमने शिकायत कर कर के इण्टरनेट छक्क भर दिया है, पर न कोई के कान पे जूं रेंगी न गाज गिरी । नकली नौटंकी है सब ।
मियां तानसेन घबराये और बोले, तो मैं कहॉं जाऊं, मैंने प्यारी सी कीमती सलाह फोकट में तानसेन के कान में चुपके से दी, मियां इलेक्शन आ रहे हैं, चुनाव चिहन सितारा बना कर कहीं से फाइट कर लो, जीत गये तो सरकार बन जाओगे और ऐश करोगे और तुम्हारा सितारा ब्राण्ड एम्बेसेडर हो जायेगा और तुम भारत रत्न, अगर हार गये तो कम से कम नेता तो बन ही जाओगे और दलाली चालू कर देना, फिर खुद का सितारा तो चल ही जायेगा साथ ही दूसरों के सितारे भी चमकाने लगोगे ।
मियां को मेरी सलाह जंच गई और अब वे इलेक्शन फाइट करने के लिये गली गली सितार बजाते डोल रहे हैं, कई सितार खानों के उदघाटन भी कर आये हैं , शादी का भोज हो, भण्डारा हो या तेरहवीं वे कोई मौका नहीं गंवा रहे । उनका ख्याल है कि अन्य बजटों की तरह सितारा बजट भी अलग से सरकार को पेश करना चाहिये । और अपनी बेसुरी वाणी और गैर आई.एस.आई. मार्के सितारे के साथ मोहम्मद रफी का गाना ''तुम मुझे यूं भुला न पाओगे, जब कभी भी सुनोगे गीत (राग) मेरे, संग संग तुम भी गुनगुनओगे'' गाते हुये आजकल देश में चक्कर लगा रहे हैं ।
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