हास्य/व्यंग्य
दिल पे जरा हाथ रख लो बाबू फिर गंगू बाई की चाल देखो...
नरेन्द्र सिंह तोमर 'आनन्द'
उल्टे रोजे गले पड़े
यूं तो कहावत ये भी है कि उल्टे बॉंस बरेली की ओर, लेकिन बात तो कहावत के फिट होने की है । किस्सा यूं हैं कि चम्बल में चार चोर निकले चोरी करने, रात का बखत था, पुलिस से भी सेटिंग बिठाई हुयी थी, तय था कि जो भी हाथ आयेगा उसमें से फिफ्टी फिफ्टी पुलिस बिटवीन थीव्ज डिस्ट्रीब्यूट होगा, पुलिस ने इस शर्त पर चोरों को चोरी का लायसेन्स दे दिया, और उनका कार्यक्षेत्र भी मुकम्मल तय कर दिया कि फलां गॉंव के फलॉं खेत से फलां खंती और फलां सड़क के दायरे में ही चोरी करोगे, उससे हट के दूसरे चोरों की सीमा शुरू होगी, दूसरों के एरिया में दखल नहीं दोगे, चोरों ने रजामन्दी के साथ लायसेन्स युक्त हो, अंधेरी रात में अपने शिकार की तलाश शुरू कर दी । चार चोरों में से एक ने जिस घर को ताक तूक कर नक्श पैमाना तय किया था, उस घर में उस दिन कोई नया बच्चा पैदा हो गया सो सारी रात घर में जागरण बना रहा । अब चोरों के सामने दिक्कत ये कि बड़ी मुश्किल से तो एक रात का लायसेन्स मिला, उस पर भी दॉंव खाली जा रहा था ।
मुश्किल में फंसे चारों चोर एक झुरमुट में बैठ कर बतियाने लगे, फुसफुसाये और विचार किया कि भैरों बाबा के मन्दिर पर चलते हैं, और वहॉं कुछ तलाशते हैं, कुछ हाथ लग ही जायेगा, और अगर किसी ने देख लिया तो कह देंगें, मन्दिर में भैरों बाबा के दर्शन करने आये हैं ।
चारों चोर भैरों बाबा के मन्दिर पहुँचे, गॉंव का मन्दिर था सो पट पटारी का झंझट नहीं था, एक चोर ने लपक कर बढि़या बड़े घण्टे आनन फानन में उतार लिये, दूसरे ने दान पेटी से चिल्लर बटोर ली, तीसरे ने मन्दिर के पुजारी के कमरे से काम की चीजें उठाई, पुजारी के कुर्ते की जेबें साफ कीं और चौथा बाहर पहरा देता रहा । काम तमाम कर माल लाद लूद कर चारों चोर खिसक लिये । अभी वे अपने गॉंव की ओर जा ही रहे थे, रास्ते में बीहड़ था, बीहड़ पार कर रहे थे कि तभी बगल की नरिया (बरसाती नाला) से आवाज आई, ठहर जाओ नहीं तो छप्पन गोली पार हो जायेंगीं । चोर थोड़ा सहमे, ठिठके, किन्तु फिर भी हिम्मत कर आगे बढ़े । तभी लगभग एक दर्जन लोगों ने उनके चारों ओर घेरा डाल दिया और चोरों को अपनी गिरफ्त में ले लिया । वे चोरों को पकड़ कर अपने अडडे पर अपने चीफ के पास ले गये । हालात और माजरा देख कर चोर समझ गये कि वे डकैतों के चंगुल में फंस चुके हैं ।
डकैतों ने उन चोरों की पकड़ कर ली, यानि अपहरण कर लिया । साथ ही उनके द्वारा चुराया सारा मालमत्ता, और जेवर पैसा भी जप्त कर लिया । चारों चोरों से दस दस लाख रूपये की फिरौती मांग डाली सो अलग । अब तो चोर भारी संकट में फंस गये ।
चोरों के घर वाले चोरों के घर वापस न पहुंचने से चिन्तित हो गये, पहले समझा कि शायद चोरी करते पकड़ गये होंगें, सो अपनी रिश्तेदारी यानि थाने पहुँचे, और दरोगा से बोले कि हमारे घर वाले तो लायसेन्स्ड चोर थे लेकिन अभी तक घर वापस नहीं पहुंचे, क्या वे पकड़े गये हैं । दरोगा ने रोजनामचा चेक किया और बोला नहीं इस थानें में तो उनकी गिरफ्तारी दर्ज नहीं हैं । किसी और थाने के एरिया में तो एण्ट्री नहीं मार दी ।
तब तक एक चोर की घरवाली के चोरी के मोबाइल पर घण्टी आ गयी, घण्टी उसके पति यानि चोर के चोरी वाले मोबाइल से आयी थी, वह बोली 'अजी कहॉं हो तुम, हम बड़े परेशान हैं, ढूंढ़ ढकोर रहे हैं, तुम थाने भी नहीं पहुँचे, दरोगा जी भी टेंशन में हैं, वे समझ रहे हैं कि तुम माल पैसा लेकर रफूचक्कर हो गये । चोर उधर से बोला अरी फेमिली, हम बड़े संकट में फंस गये हैं, चोरी तो मन्दिर से हमने कर ली थी और चालीस पचास हजार का माल भी हाथ लग गया था, लेकिन घर लौटते वक्त हमारा किडनेप हो गया है, और अब हमें छोड़ने के बदले डकैत दस लाख रूपये मांग रहे हैं । कैसे भी इंतजाम करके हमें छुड़वा लो । और फिर मोबाइल डिस्कनेक्ट हो गया ।
चोर की बीवी ने दरोगा को बताया कि हमारे हसबैण्ड का किडनैप हो गया है और वे बता रहे हैं कि चालीस पचास हजार का माल उनके पास था, चोरी के माल सहित वे किडनैप कर लिये गये हैं । अब कुछ भी करो उन्हें छुड़वाओ ।
दरोगा बोला लेकिन उनके एरिया से चोरी की रिपोर्ट तो 90 हजार की आयी है, मन्दिर के पुजारी ने 90 हजार कीमती का माल पैसा चोरी होना बताया है, हमने अभी रिपोर्ट नहीं लिखी है, आवेदन लेकर जॉंच में डाल दिया है । पर ये अपहरण का क्या किस्सा नाटक है । फिर जो भी हुआ आप समझ गये होंगें, फिरौती देकर अपहृत छूटे यानि उल्टे रोजे गले पड़े ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें