गुरुवार, 10 जुलाई 2008

हास्‍य/व्‍यंग्‍य आज मोहब्‍बत बन्‍द है- एम.पी. पुलिस : कल्‍ला के बाद अमरनाथ का भी कर डाला फर्जी एनकाउण्‍टर

हास्‍य/व्‍यंग्‍य

आज मोहब्‍बत बन्‍द है- एम.पी. पुलिस : कल्‍ला के बाद अमरनाथ का भी कर डाला फर्जी एनकाउण्‍टर

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

जैसे जैसे मध्‍यप्रदेश के विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे वैसे राजनीतिक नूराकुश्‍ती बढ़ती जा रही है, मामला इस हद तक है कि यदि मुद्दा है तो है, नहीं है तो वो भी मुद्दा है । यदि कुछ नहीं है तो मुद्दे गये तेल लेने ससुरा पुतला तो फूं‍क ही डालो ।

कई साल पहले एक फिल्‍म आयी थी नाम था आपकी कसम, फिल्‍म की खास बात थी कि उसके दो गाने बड़े हिट और फिट हैं एक तो 'आज मोब्‍बत बन्‍द है ' दूसरा 'जय जय शिव शंकर, कांटा लगे न कंकर' जरा देखिये इन दो गीतों ने भारत का भविष्‍य ही बता डाला था । 

अभी हाल ही में भाजपा ने बन्‍द करवा डाला, आजकल बन्‍द तो रोजमर्रा के जीवन का अहम हिस्‍सा बन गया है, मध्‍यप्रदेश विशेषकर चम्‍बलवासी हफ्ते में दो तीन दिन बन्‍द का आनंद लेते ही रहते हैं, कभी क्षत्रिय समाज का बन्‍द तो कभी मीणा समुदाय का बन्‍द, कभी ब्राह्मण बन्‍द कराते हैं तो कभी बनिये बन्‍द करा देते हैं, गूजरो ने तो थोक बन्‍द ही करा दिया, कभी कांग्रेस का बन्‍द तो कभी भाजपा का बन्‍द, कभी माकपा का तो कभी भाकपा का कभी सपा का तो कभी बसपा का । ससुरी जित्‍ती जाति हैं जित्‍ते धर्म हैं, जित्‍ते सम्‍प्रदाय हैं, जित्‍ते राजनीतिक दल हैं । सबके सब बन्‍द कराने पर तुल बैठे हैं । जो आवे सो बोले हैं बन्‍द । बन्‍द बन्‍द बन्‍द ।

बनिया सबसे डरता है, व्‍यापारी सबसे घबराता है, दूकानदार सबसे घिघियाता है, गली का कुत्‍ता भी चिल्‍ला दे कि आज बन्‍द तो पूरा समूचा मार्केट अपने आप बन्‍द हो लेता है । बन्‍द नहीं करा तो नुकसान, तोड़ फोड़, लूट लपाट और बेइज्‍जती । बन्‍द करा तो नुकसान । सो लोगों ने आदत डाल ली है कि हफ्ते में अब श्रम विभाग और दूकानदारी अधिनियम की एक छुट्टी के अलावा दो तीन छुट्टी और पड़नी हैं ।

बन्‍द कराना नेताओं का एक क्षत्र अधिकार है, नेता चाहे समाज का हो या राजनीति का सबसे पहले बन्‍द मांगता । बिना बन्‍द लगता ही नहीं कि कुछ हुआ । पता ही नहीं चलता कि कहीं किसी चीज का विरोध हो रहा है या आन्‍दोलन हो रहा है । बन्‍द जीवन का अविभाज्‍य अंग और भारतीय लोकतंत्र की अवधारणा है ।

बन्‍द पर टिके इस भारत के भविष्‍य के बारे में एक और मजेदार बात यह है कि लोग बाजार बन्‍द कर लेते हैं अपनी दूकानों के शटर डाल कर रखते हैं लेकिन उन्‍हें यह नहीं पता होता कि आज किस बात का बन्‍द है, बस पूछो तो कहते हैं कि आज बीजेपी का बन्‍द है आज कांग्रेस का या आज अलां का या फलां का ।

भाजपा ने काहे को बन्‍द कराया था मुरैना वाले बहुतेरो को नहीं पता (असल में बहुत बाद तक मुझे भी नहीं पता था) , मैंने कुछ दूकानदारों से पूछा कि ये कायका बन्‍द था । दूकानदार बोले पता नहीं बीजेपी का बन्‍द था, अमरनाथ अमरनाथ चिल्‍ला रहे थे, समझ नहीं आया कि अमरनाथ को किसने एनकाउण्‍टर कर दिया, कल्‍ला सिकरवार का तो पता है लेकिन ये अमरनाथ पता नहीं किसने ठोक दिया, शायद कांग्रेसीयों ने एनकाउण्‍टर करा होगा तभी बन्‍द करा रहे होंगें । मैंने अपने पुलिस मुखबिरों को फोन लगाया कि भईये ये अमरनाथ का एनकाउण्‍टर किसने कर दिया है बड़ा बन्‍द बन्‍द चल रहा है, मेरे पुलिस मुखबिर मित्र घबराये और बोले गुरू अगर अमरनाथ का भी फर्जी एनकाउण्‍टर हुआ है तो जरूर अमृत लाल मीणा ने ठोका होगा या फिर कैलारस या सबलगढ़ पुलिस ने ठोक दिया होगा । आप सीधे वहीं एस.डी.ओ.पी. को लगा लो । मैंने कई एस.डी.ओ.पी. और टी.आई. से खबर की पुष्टि और विवरण चाहा ससुरे सब के सब धुत्‍त और मस्‍त थे, हर कोई कहता था हमारे थाने के रोजनामचे में नहीं है, दादा जरूर अमृत मीणा ने ठोका होगा । हमारे यहॉं तो पन्‍द्रह दिन बाद रामसहाय गूजर गिरोह के चार आदमी ठोकने हैं, ये अमरनाथ फमरनाथ हमारे थाने के एरिया में कोई वारदात नहीं करता, और न उस पर कोई रिवार्ड है । ग्‍वालियर पुलिस से पूछ कर देख लो शायद टी- अलां फलां पर दर्ज हो, हो सकता है इण्‍टरनेशनल मुजरिम रहा हो और इण्‍टरपोल का रेड कार्नर हो । मैं फोन पर पैसे खर्च कर कर के  और माथा पटक पटक के परेशान था मगर खबर थी कि मिल ही नहीं रही थी ।    

खुद मैंने समझा कि कोई भाजपा नेता अमरनाथ होगा सो उसका भी पुलिस ने कल्‍ला सिकरवार की तरह फर्जी एनकाउण्‍टर कर डाला होगा तो बीजेपी भी क्षत्रिय महासभा की तरह बन्‍द करा रही होगी ।  लेकिन जब पलटकर कांग्रेसीयों ने लफड़ा किया और इन्‍दौर भोपाल में सरकार को रगड़ा तो मुझे टेंशन हुआ कि यार इसका मतलब अमरनाथ कोई ज्‍यादा बड़ा नेता था सो ज्‍यादा भभ्‍भर मच रहा है, मुझे इस बात पर भी शर्म आ रही थी कि इतना बड़ा नेता फर्जी एनकाउण्‍टर हो गया और मैं उसका नाम तक नहीं जानता । उफ मुझे तो डूब ही मरना चाहिये । मैं लालकृष्‍ण से शिवराज तक को जानता हूँ पर अमरनाथ को नहीं जानता, मैंने ठान लिया कि हम मीडिया में काम नहीं कर रहे झकमारी कर रहे हैं, बन्‍द आज से लिखना बन्‍द । सब बाजार बन्‍द कर रहे हैं, अमरनाथ बेचारा कोई बहुत बड़ा बढि़या आदमी होगा निबटा दिया इन पुलिस वालों ने बेचारे को, और हमें कानोंकान खबर भी नहीं हुयी, सो उनके बन्‍द के साथ अपना लिखना बन्‍द ।

बहुत बाद में मुझे पता चला कि मामला बाबा अमरनाथ का था, गुफा वाले अमरनाथ महादेव । अरे भईया वे तो अमर हैं, उन्‍हें कौन निबटा सकता है । पर बाबा को भी अब मीडिया में हाईलाइट होने का चस्‍का लग गया है, कभी लुप्‍त होकर, कभी गुप्‍त होकर तो कभी सुप्‍त होकर हर साल मीडिया की हेडलाइन में जगह पा ही लेते हैं अबकी बार बन्‍द करा कर राजनीति में भी तगड़ी एण्‍ट्री मारी है, हाहाकार और मारामार मचाते हुये, वाह बाबा वाह क्‍या धांसू एण्‍ट्री मारी है । राम जी ने भी मारी थी ऐसी ही धांसू एण्‍ट्री पर वे आउटडेटेड हो गये, बिना मन्दिर के ही क्‍लीन बोल्‍ड हो गये । दूध की मक्‍खी हो गये । बाबा तुम जरा देखना टंगड़ी बचा के खेलना, वरना चुनाव के बाद राम जी से बदतर हालत हो जायेगी । प्रभु आप तो अन्‍तर्यामी हैं, सब जानते हैं, फिर काहे को नेताओं के अण्‍टे में आके पार्टी ज्‍वाइन कर रहे हो, दूर ही रहो प्रभु । अभी सब पार्टी वाले आपके भक्‍त हैं आपके दर्शनों के जोखिम उठाते हैं फिर एक पार्टी को छोड़ दूसरा कोई तुम्‍हारा ना नाम लेवा होगा ना पानी देवा । सबके बने रहो इसी में बड़प्‍पन है । काहे को एक के नाम बदनाम होते हो । प्रभु आपका ठीया वहीं ठीक है, दिल्‍ली, भोपाल, इन्‍दौर से दूर ही रहो तो बेहतर हैं । 

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