रविवार, 30 मार्च 2008

हूँ.....लो हो गया एनकाउण्‍टर कर दिया शॉट डेड साले को

हास्‍य/व्‍यंग्‍य

हूँ.....लो हो गया एनकाउण्‍टर कर दिया शॉट डेड साले को

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

शहर ए आजम इन दिनों तफरी पर हैं, उनका स्‍टाफ आजाद इन दिनों पूरी आजादी और लोकतंत्र का आनन्‍द ले रहा है । साहब के कार्यालय में इन दिनों मार्च क्‍लोजिंग चल रहा है, साहब को हुकुम मिला कि बजट पूरा निबटाना है, एक पाई भी सरैण्‍डर नहीं होनी चाहिये । निपटाओं कैसे भी कहीं भी ।

साहब और साहब के सैनिक हर साल कुछ पैसा सरैण्‍डर कर लौटाने के आदी थे और बजट सरैण्‍डर करना तथा पैसा वापस सरकार को भेजना उनकी सालानाचर्या का अहम भाग थी । वे इसे सरकारी पैसे की बचत मानते आये थे । पैसा लौटा कर छाती ठोक के सीना तान के अपनी तारीफ में खुद ही कशीदे बॉंच लिया करते थे ।

अबकी बार ससुरी मुसीबत हो गयी, सब उल्‍टा हो गया गुल गपाड़ा हो गया । ऊपर से आदेश हैं सरैण्‍डर नहीं एनकाउण्‍टर चाहिये, वापसी नहीं उपयोगिता प्रमाण चाहिये ।

रटी रटाई लाइनों पर ट्रेडीशनलीया स्‍टाइल में काम करने वाले सरकारी कार्यालय नये किस्‍म के आदेश से चक्‍कर में पड़ गये । सरकारी बचत की जगह अब सरकारी खपत में सरकारी खुपडि़या दौड़ा दौड़ा कर बेहाल हो गये मगर ससुरा बजट था कि जित्‍ता खर्च करो बढ़ता ही जाता था ।

ऑफिस के बाबूओं के चकरघिन्‍नी हो जाने के बाद भी जब बजट का निकाल ( यह सरकारी शब्‍द है) जब पल्‍ले नहीं पड़ा तो साहब से मार्गदर्शन चाहा गया, साहब ने मोबाइल से मार्गदर्शन दिया, कि पहले लिस्‍ट बना लो कि अपने ऑफिस में क्‍या क्‍या होता है, और उसमें क्‍या क्‍या सामान लगता है या क्‍या क्‍या खर्च होता है फिर उसके सामने खर्चा डालना शुरू करो ।

बाबूओं ने साहब के निर्देशानुसार लिस्‍ट बनाना शुरू की, लिस्‍ट बनी तो ठाकुर साहब द्वारा हवन के लिये लिखाई जाने वाली सूची की तरह बन गयी । अब इस लिस्‍ट में खर्चा डालने का काम शुरू हुआ, सारे खर्चे डालने के बाद भी बजट फिर भी एनकाउण्‍टर नहीं हुआ, फिर सरैण्‍डर हुआ जा रहा था, बाबूओं ने फिर ऊपर से मार्ग दर्शन चाहा, ऊपर से मोबाइल पर आकाशवाणी स्‍टायल में साहब फिर भगवान कृष्‍ण की तरह मुस्‍कराते हुये उवाचे कि ऐसा करो कि मनमानी रकम भर दो, बाबू अर्जुन के मानिन्‍द घिघियाये कि साहब पहले से हम 400 के 3400 और 700 के 70000 लिख लिख कर रखे हैं पर फिर भी साला सरैण्‍डर कर रहा है अब कैसे एनकाउण्‍टर करें ।

साहब ने गीता के सोलहवें अध्‍याय के कृष्‍ण के मानिन्‍द कहा कि आसुरी सम्‍पदा से काम नहीं चल पा रहा तो दैवीय सम्‍पदा भी शामिल कर लो, फिर भी बात न बने तो सत्रहवें अध्‍याय वाले त्रय गुण विभाग कर लो, बाबूओं ने फिर अफसर से मार्गदर्शन चाहा और कहा प्रभो आपकी बातें कुछ समझ नहीं आ पा रहीं, अगर हिन्‍दी में बतायें तो शायद समझ में आ जाये । या फिर मुरैना के अंग्रेजी स्‍कूलों वाली इंग्लिश स्‍टायल में बता दें तो कुछ पल्‍ले पड़ जाये ।

अफसर मोबाइल वाली आकाशवाणी पर फिर कृष्‍ण स्‍टाइल को छोड़ मुरैना के अंग्रेजी स्‍कूलों के टीचर स्‍टाइल में अपनी व्‍याख्‍या सुनाने लगे और बोले, ऐसो करियो जित जित में कोमा लगे होयं तहॉ तहॉं ऐसी ऐसी मद डार दियो तिनके प्रूफ न होतई, और दो चार दिना बाद डिलीट हे जातें । जैसें दीवाल की लिखाई हर महीना के खच्‍च में एण्‍ट्री कर देओ, दीवाल की लिखाई हप्‍ता आठ दिना में मिटरत रही, हम लिखवावत रहे, ऐसेंई लिखीयो हमने भोंपू बजवाये प्रचार के काजें, रिक्‍शान में लाउडस्‍पीकर धरकें बजवाये, गामन में ऐलान करवाये, नास्‍ता फास्‍ता डीजल फीजल सिग डार डूर के देखो अब तिहाई बैलेन्‍स सीट का कहि रही है, फिरऊ बचें तो पेड़ पौधा लगाइबो दिखाय दीयो, कोऊ स्‍पष्‍टीकरण आवे तो कहि दीयो हमने तो लगाये हते, अब गैया भैंसे चर गयीं तो का करें । और बिनकी जाली को खच्‍च डारों तो लिख दीयो के पानी नहीं परो सो सूख साख गये, अबऊ कछु खच्‍च बच परे तो फैक्‍स में और फोनन में दिखाय दीओ, जे सिग कर करू के फिर हमें फोन लगाय लीयो, दूसरे नम्‍बर पे लगईयो, जा नम्‍बर को हम बन्‍द राखेंगे, पबलिक डिस्‍टरब करति है । काऊ को पानी ना आय रहो, काऊ की बिजली नाने तो काऊ की गली में सफाई ना हे रही, अब हम झाड़ू लेके जायें का, सिगुई देस परेसान है, कौन कौन की सुनें सो वा नम्‍बर की सिम खेंच देत हैं ।

बाबूओं ने साहब की समझाइस के अनुसार फिर से बजटिंग का एनकाउण्‍टर करना शुरू किया, फिर भी बजट था कि सरैण्‍डर कर रहा था । हैरान परेसान बाबूओं ने आखिर खेंच के दारू का मद भी चढ़ा दिया, साहब की डेली इत्‍ती, बाबूओं ने इत्‍ती और आने जाने वाले अतिथियों ने इत्‍ती और रोज टाइमपासीयों ने इत्‍ती पी ......। आखिर जब हिसाब लगाया तो अब न केवल बजट एनकाउण्‍टर हो गया बल्कि शॉट डेड हो गया, बल्‍कन ओवर बजट हो गया ।

मार्च क्‍लोजिंग हो गया, अब जब साहब पर्सनल टूर से लौटेंगे तो पीठ ठोकेंगे वाह भई वाह, हूं साला बार बार सरैण्‍डर कर रहा था, कर दिया एनकाउण्‍टर हो गया शॉट डेड । निबट गया गड़रिया की तरह, जादा ही अति धर रखी थी ।

शनिवार, 1 मार्च 2008

हास्‍य / व्‍यंग्‍य तानसेन का सितारा और ताजमहल का गुम्‍बज काहे न भयो आई.एस.आई

हास्‍य / व्‍यंग्‍य

तानसेन का सितारा और ताजमहल का गुम्‍बज काहे न भयो आई.एस.आई

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

आजकल टी.वी. पे मियां तानसेन छाये हुये हैं, जागो ग्राहक जागो कम्‍पनी वाले देश को चेता रहे हैं कि मियां तानसेन का सितारा आई.एस.आई. मार्क वाला न हुआ तो तानसेन घटिया हो गया, उसका संगीत और तान बेसुरी हो गयी वह दो कौड़ी का गवैया तो छोड़ो आदमी भी नहीं रहा ।

लोग कहते हैं तानसेन की तान सुन कर ''धरा मेरू सब डोलते सुन तानसेन की तान'' और दीपक राग जब वे गाते थे तो दीपक अपने आप जल उठते थे ।

जागो ग्राहक जागो ने आज देश की ऑंखे खोल दीं हैं, देश जो युगों से बेवकूफ बनता आ रहा था और तानसेन को महान तीस मारखां गवैया माने बैठा था, जागो ग्राहक जागो वालों ने दूरदर्शन के जरिये देश को सच्‍चा ज्ञान देकर ''तमसो मा ज्‍योतिर्गमय'' यानि अंधेरे से प्रकाश की ओर कर दिया है ।

चलो अच्‍छा हुआ ''जागो ग्राहक जागो'' नामक कम्‍पनी ने तानसेन के सितारे की ब्राण्डिंग चेक कर ली और देश को बता दिया कि ससुरा तानसेन का सितारा तो आई.एस.आई. था ही नहीं, साथ ही जहॉंपनाह को भी आगाह कर दिया और उन्‍हें तानसेन के बेआईएसआई सितारे के खतरे से चेता दिया अब जहॉंपनाह तानसेन का सितारा नहीं सुनते । वरना तानसेन के सितारे से या तो उनके कान फट जाते या करण्‍ट लग जाता या ब्‍लास्‍ट ही हो जाता सो सारी सभा ही उड़ जाती ।

उफ कितना उपकार किया है ''जागो ग्राहक जागो'' नामक कम्‍पनी ने देश के ऊपर ।

अब भईया मैं पी.एम. होता जो गारण्‍टी से ऐसी अमूल्‍य व महत्‍वपूर्ण रिसर्च के लिये कम्‍पनी को या तो भारत रत्‍न दे देता या नोबल पुरूस्‍कार ही रिकमण्‍ड करवा देता । पर अफसोस मेरा नंबर हर बार काट कर कोई न कोई दूसरा ही कुर्सी पर बैठ जाता है ।

ससुरी बेवकूफ है मध्‍यप्रदेश सरकार जो हर साल तानसेन समारोह मना मना कर करोड़ों फूंक देती है, इत्‍ता पैसा अगर तानसेन को दे देती तो बेचारा कम से कम एक अदद आई.एस.आई. मार्के का सितारा तो ले आता ।

ग्‍वालियर वाले सफां सिरफिरे हैं जो तानसेन की जन्‍मस्‍थली बेहट और उनके मकबरे पे शीश नवा नवा के टेढ़े हुये जा रहे हैं । मैं बहुत दिनों से ग्‍वालियर वासीयों की लगातार झुकती जा रही कमर देखकर बेहद परेशान था और उन्‍हें सीधा करने का उपाय भी समझ नहीं आ रहा था । उनकी आधी कमर मंहगाई के बोझ से और चौथाई महानुभावों, अफसरों और नेताओं के आगे झुक झुक कर टेढ़ी हो जाती है, बची खुची ऐतिहासिक व धार्मिक हस्‍तीयों के शीश नमन में  टेढ़ी हो लेती है, सो ग्‍वालियर वाले अक्‍सर किसी से मिलते वक्‍त सीधे दण्‍डवत कर मिलते हैं , यानि हण्‍ड्रेड परसेण्‍ट कमर झुकाकर ।

चलो कम्‍पनी ने बता दिया, आगाह कर दिया । अब ग्‍वालियर वालों को बेहट में जाकर और तानसेन के मकबरे पर मथ्‍था टैकी नहीं करनी पड़ेगी, सो कमर का कुछ परसेण्‍ट तो टेढ़ा होना रूक ही जायेगा

अब ताजमहल और बचा है, उसकी भी ट्रेड मार्किंग और ब्राण्डिंग हो जाये तो चैन आ जाये । ससुरा उस पर भी आई.एस.आई. नहीं है । ऐसे ताजमहल से देश को और पर्यटकों को भारी खतरा है जिस पर आई.एस.आई. का मार्का नहीं है ।

उधर मियां तानसेन ने जब टी.वी. देखा और कॅम्‍पनी के विज्ञापन में अपने सितारे की कलई खुलती देखी तो बेचारे आजकल वकीलों के चक्‍कर लगाते फिर रहे हैं कि कोई उनके सितारे का ट्रेडमार्क करवा कर आई.एस.आई. चिहन दिलवा दे । अब वकीलों की फीस ज्‍यादा है और आई.एस.आई. के बाबू अफसरों की रिश्‍वत डिमाण्‍ड हाई है सो बेचारे मियां तानसेन इस दर से उस दर ठुकियाते फिर रहे हैं ।

मियां मुझसे मिले और बोले ठाकुर साहब हमारी दरखास (एप्‍लीकेशन) इण्‍टरनेट से ऑनलाइन ऊपर पहुँचा दो कि हमें बड़ी दिक्‍कत आ रही है, हम लेना चाहते हैं मगर, आई.एस.आई. नहीं मिल पा रिया है, साले ऊपर बैठे लोग फन्‍देबाजी कर रिये हैं । पैसा पैसा चिल्‍ला रिये हैं, फत्‍तरों (पत्‍थरों) के सैर (शहर) में आ गिया हूं , कोई सुनई नहीं रिया है ।

हम बोले मियां तानसेन जि आनलाइन फोन लाइन का कोई मतलब नहीं है । कोई नहीं सुनता है । कोई कार्रवाई फार्रवाई नहीं होती, सब हाथी के दिखाऊ दांत हैं, हमने शिकायत कर कर के इण्‍टरनेट छक्‍क भर दिया है, पर न कोई के कान पे जूं रेंगी न गाज गिरी । नकली नौटंकी है सब ।

मियां तानसेन घबराये और बोले, तो मैं कहॉं जाऊं, मैंने प्‍यारी सी कीमती सलाह फोकट में तानसेन के कान में चुपके से दी, मियां इलेक्‍शन आ रहे हैं, चुनाव चिहन सितारा बना कर कहीं से फाइट कर लो, जीत गये तो सरकार बन जाओगे और ऐश करोगे और तुम्‍हारा सितारा ब्राण्‍ड एम्‍बेसेडर हो जायेगा और तुम भारत रत्‍न, अगर हार गये तो कम से कम नेता तो बन ही जाओगे और दलाली चालू कर देना, फिर खुद का सितारा तो चल ही जायेगा साथ ही दूसरों के सितारे भी चमकाने लगोगे ।

मियां को मेरी सलाह जंच गई और अब वे इलेक्‍शन फाइट करने के लिये गली गली सितार बजाते डोल रहे हैं, कई सितार खानों के उदघाटन भी कर आये हैं , शादी का भोज हो, भण्‍डारा हो या तेरहवीं वे कोई मौका नहीं गंवा रहे । उनका ख्‍याल है कि अन्‍य बजटों की तरह सितारा बजट भी अलग से सरकार को पेश करना चाहिये । और अपनी बेसुरी वाणी और गैर आई.एस.आई. मार्के सितारे के साथ मोहम्‍मद रफी का गाना ''तुम मुझे यूं भुला न पाओगे, जब कभी भी सुनोगे गीत (राग) मेरे, संग संग तुम भी गुनगुनओगे'' गाते हुये आजकल देश में चक्‍कर लगा रहे हैं ।