बुधवार, 10 मार्च 2010

व्‍यंग्‍य- अबला जीवन हाय तुम्‍हारी यही कहानी......... नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘’आनन्‍द’’

 

अबला जीवन हाय तुम्‍हारी यही कहानी.........

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

अभी और चूल्‍हा फूंको, चाकी चलाओ कण्‍डे थापो , अभी सपने मत देखो , कोई महिला सांसद या विधायक बन भी जायेगी तो भी तुम्‍हें बेला भर कर दूध पिलाने नहीं आने वाली , अपना घर भरेगी, अपने बंगले तनवायेगी , कारों और हवाई जहाजों में फर्राटे भरेगी । तुम्‍हें तो वही करना है जो कर रही हो , जाओ जाकर चाय बनाओ ... जाओ हमारे कपड़े लाओ... जाओ जरा बर्तन झाड़ू करो .... सांसदी खूंटी पे टांगो .... जाकर कपड़े धोओ .... जाओ जरा सब्‍ली ले आना... नहीं तो फिर अभी ... सांसदी  निकल और झड़ जायेगी.... पता है सांसद का चुनाव लड़ने को ढाई करोड़ और विधायक के लिये डेढ़ करोड़ रूपये चाहिये होते हैं... ये क्‍या नेता दहेज में देंगे .... और टिकिट लेने के लिये क्‍या करना पड़ता है ... मालुम है क्‍या... नेताओं को चमचे चमची चाहिये होते हैं ... नहीं मालुम है क्‍या ... जाओ जाकर चौका चूल्‍हा संभालो... कोई नेता बर्तन आकर नहीं मांजेगा या मांजेगी .... हे भारत की नारी मत फोकट ख्‍वाब देख , नेता फोकट गाल पीटते हैं पीटने दे... वरना किसी नेता को बुला अपने बर्तन मंजवा कर देख... अपना चूल्‍हा फुंकवा कर देख.... अकल दो दिनों में अड्डे पे आ जायेगी... जा अब जाकर बहढ़या सी चाय बना ला... पागल मत बन कर घूम ... वरना कल लोग और ज्‍यादा हँसेंगे ... हा हा हा हा.... तुम्‍हारे करम में तो यही बदा है ...

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